नफ़रत करना छोड़िए
नफ़रत करना छोड़िए
नफ़रतों से होता हासिल नहीँ कुछ,
लोगो में प्रेमभाव बाँटना सीखिए।
नफ़रत फैलाती हैं दिलों में दूरियाँ,
आपस में नज़दीकियां बढ़ानी सीखिए।
मत देखिये कोई हिंदू है या मुसलमान,
आखिर वह भी तो है आप सा इंसान।
आप प्यार से बोलेंगे,वह भी गले लगाएगा।
अच्छा नहीं जुटाना नफ़रतों का सामान।
नफ़रतों की आग में कई मासूम जल जाते।
बिना किसी खता के सजा कितनी बड़ी पाते।
होता है बीज नफ़रत का बहुत ही भयानक,
एक बार वृक्ष बन गया नहीं बनेगा उखाड़ते।
नफ़रतों की आंधी जब कभी आती है ।
बहुत बड़ा सैलाब अपने साथ में लाती है।
मर जाती हैं दिलों की कोमल भावनाएं।
भला-बुरा सोचने की शक्ति चली जाती है।
नफ़रत फैलाने वाले खड़े हो दूर कहीं,
तमाशा देखते और ठहाके लगाते।
चिंगारी को देकर रुप जलती आग का,
अपनी सफलता का खूब जश्न मनाते।
ऊँच-नीच, जाति-पाति धर्म संप्रदाय,
अमीर-गरीब की सीमा से बाहर आइये।
सर्वे भवंतु सुखिनः,वसुधैव कुटुम्बकम की,
भावना की सरिता जन जन में बहाइये।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
Mahendra Bhatt
22-Jul-2021 08:56 AM
Wah
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Renu Singh"Radhe "
21-Jul-2021 07:48 PM
बहुत खूब
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Niraj Pandey
21-Jul-2021 03:57 PM
वाह बहुत खूब👌👌
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